एग्रीबाज़ार की मौसम पूर्वानुमान सुविधा, दूर करेगी आपके खेती की दुविधा!

इस साल मानसून में हुई देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। साथ ही खरीफ फसलों पर भी इसका काफी बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 23 जून 2023 तक देश में 129.53 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 6.12 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन चूंकि पिछले साल भी जून के महीने में मॉनसून देरी से आया था, इसलिए अगर 2021 के जून के तीसरे सप्ताह से तुलना करें तो चालू सीजन में लगभग 30 प्रतिशत (54.87 लाख हेक्टेयर) क्षेत्र में बुआई कम हुई है।

बारिश के बदलते रुख के कारण कई किसान समय पर धान की बुआई नहीं कर पाए है, जिसका असर फसल उत्पादन पर देखने को मिल रहा है। किसानों को इन परिस्थितियों से बाहर निकालने और समय से पहले खेती जुड़े कार्यों को निपटाने और फसलों को सुरक्षा प्रदान कर हेतु एग्रीबाज़ार अपनी सर्वोत्तम कृषि सुविधाएं लेकर आया है। मौसम पूर्वानुमान और मौसम आधारित खेती के बारे में जानकारी देकर एग्रीबाज़ार किसानों को नुकसान से बचने में सहायता प्रदान कर रहा है।

दरअसल, किसी भी फसल की सिंचाई, बुआई, खेतों में उर्वरक डालना, फसल की कटाई आदि की योजना बनाने में मौसम का सही पूर्वानुमान अति-आवश्यक होता है। यदि समय पर सटीक मौसम पूर्वानुमान दिया जाए तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

एग्रीबाज़ार मौसम पूर्वानुमान के लाभ:

  • फसलों की वृद्धि एवं विकास के लिए उचित समयान्तराल पर खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।
  • बिजली के इस्तेमाल से पंप चलाने, किसान के कामों में तेजी लाने और जलावृद्धि के लिए प्रयोजन के अनुसार खेती करने में मौसम पूर्वानुमान विशेष रूप से सहायक हो सकता है।
  • मौसम पूर्वानुमान से, किसान अपने फसलों को मौसमी आपदा से बचाने के लिए बीमा योजना खरीद सकते हैं जो खेती पर सुरक्षा उपलब्ध कराता है।
  • मानसून का पूर्वानुमान करके किसान बुवाई/रोपाई का समय निर्धारित कर सकते है।
  • वर्षा एवं तेज हवाओं की स्थिति के आधार पर कीटनाशकों, फफूंदनाशी, उर्वरक एवं विभिन्न प्रकार के रसायनों का छिडक़ाव कर सकते है।

निष्कर्ष

एग्रीबाज़ार सकारात्मक नजरिया रखते हुए आधुनिक कृषि पद्धतियों को पारंपरिक कृषि से जोड़ता है, जो भारतीय किसानों को मानसून में देरी से हो रही समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने और मौसम के बदलते रुख के बीच अपनी फसलों की रक्षा करते हुए जीवनयापन करने में मदद करता है। वहीं फसल कैलेंडर सुविधा किसानों को फसलों के प्रकार और बुआई का निर्धारित समय तय करने में सहायता करता हैं।

More Articles for You

कृषि और सोलर एनर्जी: कमाई का नया साधन!

क्या हो अगर, किसान अब सिर्फ खेती से ही नहीं, बल्कि सूरज की रोशनी से भी कमाई कर सकें? आधुनिक …

The Impact of Climate Tech on Indian Agriculture: Mitigating Risks in 2025!

Climate tech in agriculture has emerged as a transformative force in India, offering innovative solutions to mitigate the risks of …

IoT और AI तकनीक: समय रहते फसलों को बीमारियों से कैसे बचाएं?

भारत में कृषि न केवल किसानों की आजीविका का साधन है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। परंतु …

The Rise of Agritech Startups in India: Cultivating a Tech-Driven Agricultural Revolution!

The core of our economy, agriculture, is undergoing a silent yet transformative revolution. Agri startups are leveraging technology to address …

WhatsApp Connect With Us