ऑर्गेनिक या रीजेनरेटिव खेती: क्या हैं भविष्य के लिए बेहतर विकल्प?

खेती केवल एक व्यवसाय नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन का आधार है। जब किसान खेत में बीज बोता है, तो वह केवल अनाज नहीं उगाता, बल्कि मिट्टी-पानी, नई उम्मीदें, खुशहाली और आने वाली पीढ़ियों के लिए उज्वल भविष्य का निर्माण करता है। आज की बदलती दुनिया में जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की घटती उर्वरता और सुरक्षित भोजन की जरूरत जैसे मुद्दे किसानों के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि भविष्य के लिए कौन-सा खेती का तरीका ज्यादा टिकाऊ और लाभकारी होगा ‘ऑर्गेनिक खेती या रीजेनरेटिव खेती’?

पिछले कुछ वर्षों में किसानों और उपभोक्ताओं दोनों की सोच में बदलाव आया है। पहले केवल उत्पादन बढ़ाने पर ही ध्यान दिया जाता था, लेकिन अब इसे कैसे उगाया जाए? यह सवाल भी अब उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। लोग चाहते हैं कि उनका खाना सेहतमंद और केमिकल-फ्री हो, वहीं किसान ऐसे तरीकों की तलाश में हैं जो मिट्टी की सेहत और पैदावार दोनों को लंबे समय तक सुरक्षित रखें। इसी बदलती सोच ने ऑर्गेनिक और रीजेनरेटिव खेती को किसानों के लिए विकल्प बनाया है। दोनों ही तरीके टिकाऊ कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके फायदे और तरीकों में फर्क है। और यहीं फर्क भविष्य की खेती को दिशा देते हैं। 

organic or regenerative farming

ऑर्गेनिक खेती: मिट्टी और सेहत दोनों की सुरक्षा

ऑर्गेनिक खेती का मूल उद्देश यह है कि खेती में किसी भी तरह के रासायनिक खाद, कीटनाशक या हानिकारक रसायन का इस्तेमाल न हो। इसकी जगह जैविक खाद, गोबर की खाद, हरी खाद, वर्मी-कम्पोस्ट और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि मिट्टी की प्राकृतिक उपजाऊ शक्ति बनी रहती है, पानी और हवा प्रदूषित नहीं होते और उपभोक्ता तक सुरक्षित भोजन पहुँचता है।

ऑर्गेनिक खेती के सबसे बड़े फायदों में से एक यह है कि यह सीधे मानवी स्वास्थ्य से जुड़ी है। बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि लोग जानते हैं कि यह केमिकल-फ्री है और शरीर को नुकसान नहीं पहुँचाता है। साथ ही, किसानों के लिए यह एक नया बाज़ार अवसर भी है क्योंकि ऑर्गेनिक अनाज और सब्ज़ियाँ अक्सर सामान्य उत्पादों की तुलना में बेहतर दामों पर बिकती हैं।

लेकिन इसकी चुनौतियाँ भी हैं। शुरुआत में उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है और बाज़ार तक सही दाम पर उत्पाद पहुँचाने के लिए किसानों को मजबूत सप्लाई चेन और प्रमाणन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। फिर भी, लंबे समय में यह खेती किसानों के लिए स्थिर और टिकाऊ आय का साधन बन सकती है। ऑर्गेनिक खेती के सबसे बड़े फायदों में से एक यह है कि यह सीधे मानवी स्वास्थ्य से जुड़ी है। बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि लोग जानते हैं कि यह केमिकल-फ्री है और शरीर को नुकसान नहीं पहुँचाता है। साथ ही, किसानों के लिए यह एक नया बाज़ार अवसर भी है क्योंकि ऑर्गेनिक अनाज और सब्ज़ियाँ अक्सर सामान्य उत्पादों की तुलना में बेहतर दामों पर बिकती हैं।

organic or regenerative farming

रीजेनरेटिव खेती: केवल बचाव नहीं, पुनर्जीवन भी

रीजेनेरेटिव खेती का मतलब है खेती को सिर्फ टिकाऊ बनाना ही नहीं, बल्कि मिट्टी और प्रकृति को फिर से जीवंत करना। यह खेती मिट्टी की संरचना को सुधारने, कार्बन को मिट्टी में वापस खींचने, और पर्यावरणीय संतुलन बहाल करने पर ज्यादा फोकस करती है। इसमें फसल चक्र (Crop Rotation), कवर क्रॉप्स (Cover Crops), नो-टिल या कम जुताई तकनीक, और जैविक खाद का इस्तेमाल जैसी विधियाँ अपनाई जाती हैं।

रीजेनेरेटिव खेती की खासियत यह है कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में भी योगदान देती है। जब खेत में मिट्टी की सेहत सुधरती है, तो वह अधिक कार्बन अपने अंदर संचित करती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का असर घटता है। यानी यह मॉडल न सिर्फ किसान और उपभोक्ता बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा, इस पद्धति से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे सिंचाई की ज़रूरत कम होती है। दीर्घकाल में यह खेती लागत को घटाकर मुनाफा बढ़ाने का काम करती है। हालांकि, इसके लिए किसानों को नई तकनीक और जानकारी अपनानी होती है, जो ग्रामीण इलाकों में हमेशा आसान नहीं होती।

organic or regenerative farming

भविष्य का रास्ता: कौन बेहतर विकल्प?

अगर हम तुलना करें तो ऑर्गेनिक खेती और रीजेनरेटिव खेती दोनों ही विकल्प केमिकल-आधारित पारंपरिक खेती से कहीं बेहतर हैं। ऑर्गेनिक खेती उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और खाद्य गुणवत्ता पर ध्यान देती है, जबकि रीजेनरेटिव खेती मिट्टी और पर्यावरण के पुनर्निर्माण पर।

भविष्य के लिहाज से देखा जाए तो रीजेनरेटिव खेती को और ज्यादा महत्व मिल रहा है क्योंकि यह जलवायु संकट और मिट्टी के लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य का समाधान देने में सक्षम है। वहीं, ऑर्गेनिक खेती उपभोक्ताओं की मांग और मार्केट ग्रोथ की वजह से किसानों को सीधा आर्थिक फायदा देती है। सही मायनों में, अगर किसान दोनों तरीकों के लाभों को मिलाकर अपनाएँ, तो यह सबसे संतुलित और टिकाऊ खेती का मॉडल हो सकता है।

आज ज़रूरत इस बात की है कि किसान सिर्फ ज्यादा उत्पादन के बारे में सोचने के बजाय अच्छे और टिकाऊ उत्पादन की पद्धति की ओर बढ़ें। एग्रीबाज़ार का एकीकृत कृषि तकनीकी प्लेेटफॉर्म अपनी कई उन्नत तकनीकी सेवाओं और सटीक सलाह के जरिए किसानों की निरंतर सहायता करता रहा है। किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के साथ-साथ, बाज़ार से सीधा जोड़ने अपनी सहयोगी कंपनियां स्टारएग्री और एग्रीवाइज के माध्यम से भंडारण-फाइनेंसिंग जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराता है। चाहे ऑर्गेनिक खेती हो या रीजेनरेटिव, किसानों को प्रमाणन, मार्केट लिंकिंग और फसल की बेहतर कीमत तक पहुँचाने में एग्रीबाज़ार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

जो प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चले, वही भविष्य की खेती है। किसान अगर जागरूक होकर इन टिकाऊ खेती पद्धतियों को अपनाएँ और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स की मदद लें, तो न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित, सुनिश्चित और समृद्ध कृषि भविष्य का निर्माण होगा।

WhatsApp Connect With Us