जलवायु परिवर्तन अनुकूल खेती को अपनाएं, प्राकृतिक अनिश्चितताओं के संकट में भी मुनाफा कमाएं!

खेती करना जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें से सबसे कठिन हैं प्राकृतिक अनिश्चितताओं से जूझना। जलवायु परिवर्तन की स्थिति किसानों की मुश्किलें निरंतर बढ़ा रहा है। लिहाजा इससे बचने और नुकसान को घटाने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण तरीकों को अपनाना चाहिए। केवल एक फसल पर निर्भर न रहते हुए जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती करनी चाहिए। साथ ही उन कृषि तकनीकों को भी अपनाना चाहिए, जो कृषि आय को कम ना होने दें और बदलते जलवायु के अनुकूल भी हों।

किसानों को बेहतर उपज और बीज की बचत के लिए पंक्तिबद्ध बुआई, शुष्कभूमि कृषि या बारानी खेती (Dryland farming), स्थायी कृषि की कुछ अन्य पद्धतियों को अपनाना चाहिए। साथ ही कम समय और कम पानी (सूखा प्रतिरोधी) में भी स्वस्थ फसल एवं उत्पादन देने वाली गुणवत्तापूर्ण बीजों की खरीद करनी चाहिए। खेतों में नमी बनाए रखने और मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने के लिए कम लागत में कैंचुआ खाद और अमृत मिट्टी जैसी जैविक खेती के तरीकों को भी अवश्य अपनाना चाहिए। आज कई किसान जलवायु अनुरुप खेती और कृषि तकनीकियों को अपनाकर निश्चित बेहतर उत्पादन और आय हासिल कर रहे हैं।

आइए, कुछ जलवायु परिवर्तन अनुकूल फसलों के बारे में जानें: 

  • फरवरी-मार्च में बेल वाली सब्जियों की खेती की जाए, तो किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। फरवरी महीने से जायद की फसलों की बुवाई का समय शुरू होता है, जो मार्च तक चलता है। इस मौसम में किसान खीरा, ककड़ी, करेला, लौकी, तोरई, पेठा, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्‍डी, अरबी जैसी सब्ज़ियों की बुवाई कर सकते हैं। 
  • इस समय किसान गरमा धान की बुवाई कर बढ़िया पैदावार और मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। गरमा धान सामान्य धान से थोड़ा अलग है, लेकिन इसकी खासियत यह है की यह कम लागत और कम समय में तैयार हो जाता है और अच्छा मुनाफा भी देता हैं।
  • किसानों को कम पानी वाले क्षेत्रों में जौ की खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए। गेहूं की अपेक्षा जौ की खेती कम पानी और खाद में अधिक उत्पादन देती है। गेहूं के फसलों के लिए जहां सिंचाई के 6 चरणों की जरुरत होती है, वहां जौ के लिए सिंचाई के केवल 2 चरण ही काफी है और गेहूं की अपेक्षा इसकी लागत भी 50% कम है।
  • कम बरसात वाले क्षेत्रों में किसान बाजरा, ज्वार, मक्का, अलसी भी लगा सकते हैं।

एग्रीबाज़ार भी अपनी सर्वोत्तम तकनीकी कृषि सुविधाओं के जरिए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने और बेहतर भविष्य बनाने में निरंतर किसानों की मदद कर रहा है। अपनी ऑनलाइन इनपुट मार्केटप्लेस, फसल अनुमान, मौसम पूर्वानुमान, फसल डॉक्टर और कई विभिन्न कृषि सुविधाओं के जरिए किसानों की बीज खरीद से लेकर बेहतर मंडी भाव पाने तक, हर कदम पर किसानों की सहायता कर रहा है। इन प्राकृतिक अनिश्चितताओं की संकट से किसानों की रक्षा कर उन्हें आर्थिक रुप से सशक्त बना रहा है।

More Articles for You

‘हाइड्रोपोनिक’ का नया युग: मिट्टी के बिना, मुनाफे की खेती

मौजूदा दौर में बदलते मौसम, प्रदूषण की चुनौतियां, निरंतर बढ़ती आबादी और बढ़ती खाद्य मांग को देखते हुए हाइड्रोपोनिक खेती …

The ‘Swipe to Sell’ Revolution – Agri Trading is Going Mobile-First!

Agri trading, a sector historically rooted in physical mandis and face-to-face negotiations, is transforming profoundly. The era of long queues, …

समेकित कृषि: खेती को लाभदायक बनाएं, सालभर मुनाफा कमाएं

लगातार बढ़ती जनसंख्या और कम होती प्राकृतिक संसाधनों के कारण किसानों को भी अपने तरीके और तकनीक दोनों में बदलाव …

Quantum Computing in Indian Agriculture: A Leap Toward Hyper-Efficient Farming!

Agriculture in India is undergoing a digital revolution, with emerging technologies such as Artificial Intelligence (AI), the Internet of Things …

कृषि और सोलर एनर्जी: कमाई का नया साधन!

क्या हो अगर, किसान अब सिर्फ खेती से ही नहीं, बल्कि सूरज की रोशनी से भी कमाई कर सकें? आधुनिक …

The Impact of Climate Tech on Indian Agriculture: Mitigating Risks in 2025!

Climate tech in agriculture has emerged as a transformative force in India, offering innovative solutions to mitigate the risks of …

WhatsApp Connect With Us