ई-मंडी: क्या है कृषि व्यापार की पूरी प्रक्रिया? कैसे पाएं घर बैठे सही उपज मूल्य?

भारत में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अक्सर ही बाजार की कठिन प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। पहले मंडियों में किसानों को अपने उत्पादन की गुणवत्ता, मात्रा और कीमत का निर्णय नहीं लेने दिया जाता था। बल्कि बिचौलियों के हाथों उन्हें अपनी फसल बेचनी पड़ती थी, जिससे उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता था। किसानों की इस समस्या को देखते हुए सरकार ने किसानों के लिए कई अहम कदम उठाएं, जिनमें से एक ‘इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल’, यानि ई-मंडी का लांच सबसे महत्वपूर्ण रहा है।

किसानों को फसल बेचने में आसानी हो इसलिए सरकार ने ‘ई-मंडी’ (इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल) लॉन्च किया, जो किसानों को गुणवत्ता के आधार पर उचित फसल मूल्य प्राप्त करने में मदद करता है। इसी दिशा में एग्रीबाज़ार ई-मंडी भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सितंबर 2021 में मंडी अधिनियम, 1972 के तहत एग्रीबाज़ार ने मध्य प्रदेश में अपनी पहली निजी ई-मंडी का निर्माण किया। जहां किसान देश के किसी भी कोने से, कहीं से भी अपनी फसल बेच सकता हैं।

ई-मंडी क्या है?

‘ई-मंडी’ एक ऑनलाइन कृषि व्यापार मंच है, जहां किसान अपने कृषि उत्पादों को सीधे खरीदारों को बेच सकते हैं। हालांकि यह मंडी पारंपरिक मंडियों की तरह ही है, लेकिन यहाँ सारा व्यापार ऑनलाइन होता है। एग्रीबाज़ार ऐसी ही एक ई-मंडी है जो किसानों और खरीदारों को एक साथ लाने का काम करती है। किसानों को प्रतिस्पर्धी दरों पर अपनी फसल बेचने की सुविधा देने के साथ-साथ लाइसेंसधारी व्यापारियों को गुणवत्तापूर्ण फसल खरीदने की सुविधा देता है। किसान, बिना मंडी के फेरे लगाएं, घर बैठे अधिकतम खरीदारों से जुड़कर उचित फसल मूल्य पर प्राप्त कर सकता है। 

खरीद-बिक्री व्यापार की संचालन प्रक्रिया – 

1. पंजीकरण: एग्रीबाज़ार की ई-मंडी में खरीद-बिक्री व्यापार का संचालन बहुत ही सरल और पारदर्शी है। किसान और खरीदार दोनों को सबसे पहले एग्रीबाज़ार प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकरण करना होता है और फिर वे लॉगिन कर सकते हैं।

2. फसल जानकारी: किसान अपने उत्पादों की जानकारी, जैसे कि प्रकार, मात्रा, गुणवत्ता, आदि प्लेटफ़ॉर्म पर अपलोड करते हैं। इससे खरीदारों को उत्पाद की पूरी जानकारी मिलती है।

3. बोली प्रक्रिया: खरीदार उत्पादों पर बोली लगाते हैं। किसान विभिन्न बोलियों का मूल्यांकन करते हैं और सबसे उपयुक्त बोली का चयन करते हैं।

4. मूल्य निर्धारण: एक बार बोली स्वीकृत हो जाने पर, कीमत तय हो जाती है और दोनों पक्षों के बीच सौदा पक्का होता है।

5. भुगतान और वितरण: सौदा पक्का होने के बाद भुगतान की प्रक्रिया शुरू होती है। एग्रीबाज़ार प्लेटफ़ॉर्म इस बात का ध्यान रखता है कि भुगतान सुरक्षित और समय पर हों। इसके बाद, उत्पाद की डिलीवरी की जाती है।

More Articles for You

कार्बन फार्मिंग: पर्यावरण संतुलन के साथ बढ़ाएं अपनी फसल और आय!

आज की खेती केवल अन्न उगाने तक सीमित नहीं रह गई है। बदलते मौसम, घटती मिट्टी की उर्वरता और जलवायु …

Role of digital platforms in reducing food wastage and logistics costs!

In 2024, approximately 78 million tonnes of food were wasted annually in India, translating to about 55 kg per capita. …

WhatsApp Connect With Us