एग्री-वोल्टाइक, खेती की एक ऐसी स्मार्ट तकनीक है, जिसके जरिए किसान अपने खेतों में नकदी फसल उत्पादन के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन कर सकते हैं। इस तकनीक के माध्यम से किसान खाद्य उत्पादन में सुधार और पानी के उपयोग को कम कर अधिकतम बिजली पैदा कर दोगुनी कमाई कर सकते हैं।
एग्री-वोल्टाइक तकनीक द्वारा साल 2030 तक 500 गीगावॉट नई ऊर्जा प्राप्त करने का भारत का लक्ष्य है। 2021 में, वैश्विक एग्री-वोल्टाइक का बाजार मूल्य $ 3.17 अमेरिकी डॉलर था। वहीं 2022 से 2030 तक 12.15% की CAGR के साथ, बाजार 2030 तक लगभग $ 8.9 तक पहुंचने की संभावना है। सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करना राजस्थान जैसे शुष्क जलवायु क्षेत्र के किसानों के लिए बेजोड़ कमाई का एक जरिया बन सकता है।
एग्री-वोल्टाइक को ‘सौर-खेती’ के नाम से भी जाना जाता है। इस तकनीक में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए स्थापित किए गए सौर पैनल फसलों को छाया भी प्रदान करते हैं, जिससे फसलों से भाफ की दर धीमी होती है और पौधों द्वारा पानी का सही मात्रा में प्रयोग करना भी संभव हो पाता है। जैसे की मोंठ, मूँग, ग्वार, लोबिया, शंखपुष्पी, घृतकुमारी, सोनामुखी, बैंगन, टमाटर, आलू, पालक और ककड़ी एवं मिर्च आदि अच्छे उदाहारण हो सकते हैं।
एग्री-वोल्टाइक तकनीक के फायदे :-
- एग्री-वोल्टाइक तकनीक किसानों को एक ही भूमि पर एक साथ फसल उगाने और बिजली का उत्पादन करने में मदद करती है।
- इस तकनीक के जरिए किसान अपनी फसल उत्पादन और आय में अधिकतम वृद्धि कर सकते हैं।
- एग्री-वोल्टाइक तकनीक में भूमि, जल और सूर्य का प्रकाश आदि प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाता है। नई ऊर्जा के साथ एकीकृत सटीक कृषि की यह बेहतर तकनीक है।
- इस तकनीक के चलते ग्रामीण किसान अधिक मूल्य वाली फसलें उगाने में अधिक सक्षम हो गए हैं।
- यह तकनीक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करती है और ओजोन परत की रक्षा करती है।
एग्रीबाजार भी अपनी सर्वोत्तम कृषि तकनीक, निवारक उपाय और उर्वरक कैलकुलेटर की सहायता से किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने में लगातार मदद करता रहा है। अपनी एग्रीनो सर्विस के जरिए समय और संसाधनों को बचाने के लिए किसानों को समस्या वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए सचेत करता है। एग्रीनो, स्थान-विशिष्ट मौसम पूर्वानुमान के साथ फसलों की समय पर कटाई की सलाह देता है। उन्नत मिट्टी की नमी की निगरानी, किसानों को महंगी सुविधा के बिना फसलों की स्थिति का विश्लेषण करने में निरंतर सहायता करता है।