स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण मिट्टी सटीक एवं निरंतर कृषि की नीव हैं, परंतु पिछले कुछ दशकों में औद्योगीकरण (Industrialization) और शहरीकरण (urbanization) के चलते मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादक क्षमता घटती जा रही है। ऐसे में ज्यादा उत्पादन के लिए मिट्टी में रसायनिक खाद एवं कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव खत्म हो रहे हैं और मिट्टी की गुणवत्ता भी घट रही है। खेतों की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना आवश्यक है और इसके लिए 3-5 साल में एक बार मिट्टी स्वास्थ्य की जांच करना आवश्यक है।
मिट्टी की गुणवत्ता एवं फसल स्वास्थ्य सुधार के लिए कुछ तकनीकी एवं निवारक उपाय निम्नलिखित हैं:-
- कृषि-वानिकी: कृषि-वानिकी पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके द्वारा भूमि कटाव (soil erosion) को रोका जा सकता है और जमीन एवं पानी का संरक्षण कर मिट्टी की उर्वरता और खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं।
- जल नियंत्रण एवं जैविक खेती: मिट्टी में जल का स्तर एक-समान रखने के लिए सिंचाई प्रणाली महत्वपूर्ण है। जैविक खेती को बढ़ावा देने से मिट्टी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है। मृदा के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट होने से बचाने के लिए एवं बंजर, अनुपयोगी भूमि पर घास, अधिकतम पेड़-पौधे लगाकर मिट्टी में सुधार किया जा सकता है।
- मृदा परीक्षण एवं संशोधन: अच्छी मिट्टी की पहचान करने के लिए पहला कदम उसका परीक्षण करना है। इसके लिए विभिन्न पैरामीटर जैसे कि pH मान, नाइट्रोजन, पोटाश, फॉस्फोरस आदि की जांच की जा सकती है। जरूरत के अनुसार, मिट्टी में पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए मिट्टी में खाद्यान और जीवाणुओं को मिलाया जा सकता है।
- फसल चक्रण: फसल चक्रण मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पोषक तत्वों को अनुकूलित करने और कीट और खरपतवार के दबाव से निपटने के लिए मदद करता है। मकई, चारा और छोटे अनाज जैसी उच्च अवशेष देने वाली फसलों के रूप में फसल चक्रण से मृदा कटाव को कम किया जा सकता है।
- सटीक खेती: सटीक कृषि का लक्ष्य दक्षता और उत्पादकता बढ़ाना, इनपुट लागत कम करना और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार करना है। भारत को मृदा स्वास्थ्य का प्रबंधन करने और उपयुक्त कीटनाशी का उपयोग करने के लिये सेंसर तथा अन्य वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग कर सटीक खेती की ओर आगे बढ़ने की ज़रूरत है।
- कार्बन खेती: कृषि प्रबंधन में कार्बन खेती के तरीकों का अभ्यास करने की आवश्यकता है जो भूमि को अधिक कार्बन भंडारण करने में मदद कर सकते हैं और वातावरण में GHG की मात्रा को कम कर सकते हैं। इस प्रकार, मृदा स्वास्थ्य और वायुमंडल में स्थिरता को बनाए रखने में सहायक होंगे।
मिट्टी के महत्व को देखते हुए ही सरकार भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए किसानों को मिट्टी के प्रति जागरूक कर रही है। सरकार की पहल में एग्रीबाज़ार भी अपनी फसल-पूर्व समाधानों के साथ किसानों को उन्नत कृषि तकनीकी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। किसानों को बेहतर निर्णय लेने और अपने खेतों एवं मिट्टी को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सके इसलिए एग्रीभूमि, फसल डॉक्टर जैसी सेवाओं के जरिए सटीक खेती, मृदा परिक्षण एवं स्वास्थ्य विश्लेषण और उपज की भविष्यवाणी करने में सटीकता प्रदान करता है। रिमोट सेंसिंग, GIS और मशीन लर्निंग का उपयोग कर फसलों के स्वास्थ्य, संक्रमण की सीमा, संभावित उपज और मिट्टी की स्थिति को समझने में किसानों की मदद कर रहा है।