कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीकों और उत्पादों के जुड़ने से किसानों को अब बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त करने के अधिक अवसर मिल रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम है – पीट मॉस (Peat Moss) का। पीट मॉस धीरे-धीरे भारतीय किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहा है, खासकर उन किसानों में जो पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस या गमले की खेती करते हैं। यह न केवल मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है, बल्कि पौधों की जड़ों को बेहतर पोषण देने में भी सक्षम होता है।पर क्या पीट मॉस वाकई खेती के लिए एक बेहतर विकल्प है? क्या इसके उपयोग से मिट्टी को स्थायी रूप से लाभ होता है? इन सभी सवालों का जवाब जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि पीट मॉस आखिर है क्या।
पीट मॉस क्या है?
पीट मॉस एक प्रकार की प्राकृतिक कार्बनिक सामग्री है जो मुख्यतः सड़ चुकी काई (विशेषकर स्पैगनम काई) और अन्य पौधों के अवशेषों से बनती है। यह हजारों वर्षों तक गीली दलदली भूमि (bogs) में धीरे-धीरे सड़कर बनती है, जिससे इसमें पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा जमा हो जाती है। पीट मॉस को मिट्टी में मिलाकर उपयोग किया जाता है ताकि उसकी नमी पकड़ने की क्षमता बढ़े और वह अधिक हवादार बने। इसका रंग गहरा भूरा या काला होता है और यह स्पंजी और हल्की बनावट वाली होती है।
खेती में पीट मॉस के फायदे और नुकसान:
पीट मॉस को विशेष रूप से नर्सरी, गमले की खेती, पॉलीहाउस और बगीचों में मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है। जहां एक ओर पीट मॉस फायदेमंद हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कुछ नुकसान भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। तो जानते हैं क्या हैं इसके फायदे और नुकसान।
1. सबसे बड़ा फायदा यह है कि पीट मॉस पानी को लंबे समय तक रोक कर रखता है, जिससे पौधों की जड़ों को धीरे-धीरे नमी मिलती रहती है। इससे सिंचाई की जरूरत भी कम हो जाती है। यह गुण उन क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी है जहां पानी की उपलब्धता सीमित होती है।
2. पीट मॉस मिट्टी को ढीला और हवादार बनाता है, जिससे जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और उनका विकास बेहतर होता है। यह खासकर उन खेतों के लिए उपयोगी है, जहां मिट्टी भारी या कड़ी होती है।
3. पीट मॉस अम्लीय pH वाला होता है, जो कई पौधों के लिए फायदेमंद होता है जैसे कि बेरी, नींबूवर्गीय पौधे, फूलों की कई किस्में आदि। यह उगाने के लिए उपयुक्त माध्यम बनाता है। इसकी संरचना रोगजनकों और खरपतवारों से मुक्त होती है, जिससे पौधों को बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
4. पीट मॉस जितना फायदेमंद है उतना ही नुकसानदायी भी है। प्राकृतिक स्रोत से निकलने वाला यह ‘पीट मॉस’ बनने में हजारों वर्ष लगते हैं, और जब हम इसे अधिक मात्रा में निकालते हैं तो इससे दलदली इकोसिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है।
5. पीट मॉस में प्राकृतिक पोषक तत्वों की मात्रा सीमित होती है। यानी इसका केवल मिट्टी सुधारक की तरह ही उपयोग करना चाहिए, न कि खाद की तरह।
6. अधिक अम्लीय pH होने के कारण यह उन फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है जिन्हें तटस्थ या क्षारीय मिट्टी की जरूरत होती है। अगर बिना संतुलन के इसका प्रयोग किया जाए, तो यह फसल वृद्धि पर प्रभाव डाल सकता है।
7. इसका आयात महंगा पड़ सकता है, जिससे छोटे किसानों के लिए यह एक खर्चीला विकल्प बन जाता है।
क्या पीट मॉस भारतीय खेती के लिए सही है?
पीट मॉस आधुनिक और उन्नत खेती के लिए एक उपयोगी माध्यम हो सकता है, यह कहना गलत नहीं होगा लेकिन इसका सही और संतुलित उपयोग ही इसे प्रभावी बना सकता है। यह खासतौर पर बागवानी, नर्सरी और ग्रीनहाउस खेती में अधिक लाभकारी साबित हो सकता है ना कि परंपरागत फसलों में। इसके विकल्प के रूप में आजकल कोकोपीट, कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट जैसे पर्यावरण अनुकूल माध्यम भी उपलब्ध हैं, जिन्हें पीट मॉस की जगह अपनाया जा सकता है।
खेती में तकनीक और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। ऐसे में एग्रीबाज़ार किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी आधार पर सटीक कृषि सलाह, उत्पादों की जानकारी देता है। सही मिट्टी सुधारकों, उर्वरकों और फसल प्रबंधन की सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद करता है। चाहे आपको पीट मॉस की जगह कोई और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प चाहिए हो, या मिट्टी जांच से लेकर सही उपज मूल्य पाने तक एग्रीबाज़ार आपको हर कदम पर साथ देता है।