खरीफ सीजन 2024: फसलों की बुआई से पहले किन बातों का रखें ध्यान?

देश में खरीफ फसलों की प्री-मॉनसून बुआई शुरू हो गई है। इस मौसम का लाभ उठाने के लिए किसान अब खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। भारत में खरीफ सीजन जून से शुरू होकर सितंबर-अक्टूबर के बीच समाप्त हो जाता है, इसलिए यह सीजन किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दौरान की गई तैयारी खरीफ फसलों की पैदावार और गुणवत्ता पर सीधा असर करती है। 

खरीफ सीजन में अधिकांश किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं, इसलिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को मौसम की जानकारी दी जा रही है। वहीं मॉनसून-पूर्व सटीक सलाह के साथ प्रमाणिक बीज और खाद खरीद के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन खरीफ सीजन के दौरान 154.19 मिलियन टन और रबी सीजन के दौरान 155.12 मिलियन टन तक पहुंच सकता है।

खरीफ फसलों की बुआई से पहले किन बातों का रखें ध्यान? 
1. फसलों का चयन : कृषि उत्पादन में बीज का योगदान महत्वपूर्ण है। जलवायु और मृदा के आधार पर फसल एवं बीजों का चयन करना चाहिए और अधिकृत दुकानदार से ही उन्नत एवं प्रमाणित बीज खरीदने चाहिए।
2. फसल चक्र: फसल चक्र अपनाना एक अच्छे और प्रगतिशील किसान की पहचान होती है। भूमि की उर्वराशक्ति बनाए रखने तथा अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को फसल चक्र सुविधा अपनानी चाहिए।
3. भूमि उपचार : भूमि उपचार करने से भूमि जनित रोगों और कीटों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। दीमक को कम करने के लिए किसानों को खेत में सूखे फसल अवशेष हटा देने चाहिए।
4. बीजोपचार : अगर हमें फसलों को रोगों से बचाना है तो बीजों को उपचारित करना जरुरी चाहिए, जिससे काफी हद तक फसलों को रोगों से बचाया जा सकता है। वहीं समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करना चाहिए।
5. बुआई का तरीका : कतार में बुआई करना सर्वोत्तम विधि है। उचित मात्रा में बीज डालने के लिए किसान को सीडड्रिल का उपयोग करना चाहिए।

एग्रीबाज़ार भी अपनी सर्वोत्तम कृषि तकनीकी सुविधा, निवारक उपायों से किसानों की मॉनसून-पूर्व खरीफ फसलों की तैयारी करने में और पैदावार बढ़ाने में सहायता कर रहा है। एग्रीभूमि सर्विस के जरिए एग्रीबाज़ार रिमोट सेंसिंग, जीआईएस और मशीन लर्निंग द्वारा फसल की पहचान, फसल की स्थिति का आकलन, मिट्टी के गुण एवं स्वास्थ्य, रकबे और उपज का आकलन, मिट्टी की नमी का आकलन, नमी की कमी और जल प्रबंधन जैसी कृषि संबंधी जानकारी देता है।

फसल डॉक्टर फसल तस्वीरों के जरिए कीट-रोगों की पहचान कर किसानों को तुरंत निवारक उपाय देता हैं और स्वस्थ एवं अधिक पैदावार पाने में मदद करता है। फसल कैलेंडर किसानों को खेती चक्र के दौरान उनकी फसलों की प्रगति पर नज़र रखने में मदद करता है। कृषि प्रबंधन प्रणाली, इनपुट उपयोग, गुणवत्ता नियंत्रण और कृषि स्थिरता पर आधारित डाटा संचालित निर्णय लेने में सहायता करता है।

More Articles for You

डिजिटल ट्विन: खेतों की असली तस्वीर, अब वर्चुअल दुनिया में भी संभव!

खेती केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारे देश की संस्कृति, परंपरा, और आत्मनिर्भरता की पहचान है। सदियों से भारतीय खेती …

Agri Commodities to Watch in 2025: A Trader’s Perspective!

As we progress through 2025, India’s agricultural sector is experiencing significant growth, marked by record-breaking production figures across various agri …

WhatsApp Connect With Us