रबी सीजन 2023: कब-कैसे करें गेहूं की बुआई, जानें उन्नत खेती की तकनीक!

खरीफ फसलों की कटाई के बाद अब किसान रबी फसलों की बुआई करने में लग गए हैं। गेहूं काफी पौष्टिक और देश में बड़े पैमाने पर उत्पादित की जानेवाली प्रमुख रबी फसल है। भारत में पिछले 40 सालों से निरंतर गेहूं के उत्पादन में वृद्धि देखने को मिली है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु में पैदा होने की विशेषता के चलते गेहूं दुनिया के कई हिस्सों में महत्त्वपूर्ण उत्पादन बना है। लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए गेहूं 2025 तक 117 मिलियन टन पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ो के अनुसार, गेहूं जैसी फसल के लिए 2023-24 रबी सत्र में बुआई को बीजों की उपलब्धता 159.03 लाख क्विंटल या देश की जरूरत से 20.70 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है।

कैसे करें गेहूं की उन्नत खेती –

मक्के के बाद सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन लिया जाता है। फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए उनकी सही समय पर बुआई होना आवश्यक है। इसके अलावा फसलों की किस्म, मौसम की स्थिति, मिट्टी का तापमान, सिंचाई की सुविधा और भूमि की तैयारी इन सब पर गेहूं का उत्पादन निर्भर करता है। गेहूं की बुआई सामान्यत: अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवम्बर की शुरुआत तक की जाती है। विशेष परिस्थितियों में दिसंबर के महीने में भी गेहूं की बुआई की जा सकती है।

वैसे देखा जाएं तो गेहूं का उत्पादन हर प्रकार की मिट्टी मे किया जा सकता हैं लेकिन इसकी अच्छी पैदावार के लिए दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त है। बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होना जरुरी है। जल निकासी और सिंचाई के उचित प्रबंधन से मटियार और रेतीली मिट्टी मे भी गेहूं की खेती की जा सकती है। गेहूं की खेती के लिए मिट्टी का पी. एच. मान 6.5 से 7.5 अच्छा माना जाता है। इसकी खेती के लिए सही तापमान भी जरुरी है। गेहूं बीज के अंकुरण के समय तापमान 20-25 डिग्री सेंटीग्रेड और आद्र-शीत जलवायु के साथ हल्की धूप होनी चाहिए।

गेहूं की खेती में किस्मों का चुनाव एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो यह निर्धारित करता है कि उपज कितनी होगी। हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में गेहूं की उन्नत किस्मों HD 3086 और HD 2967 की बड़े पैमाने पर गेहूं की जा रही है, लेकिन इन किस्मों के स्थान पर अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी गेहूं की किस्मों जैसे DBW 187, DBW 222 और HD 3226 की बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है।

रबी सीजन का लाभ उठाने के लिए एग्रीबाज़ार अपनी स्मार्ट कृषी तकनीक, विशेषज्ञों की सटीक सलाह, एग्रीभूमि और फसल चिकित्सक जैसी सुविधाओं के जरिए लगातार किसानों की सहायता कर रहा है। किसानों को अधिक उत्पादक और लाभप्रद रुप से कार्य करने में और अपनी आजीविका को सुरक्षित रखने और जोखिम यथा संभव कम करने में सक्षम बना रहा हैं।

More Articles for You

कार्बन फार्मिंग: पर्यावरण संतुलन के साथ बढ़ाएं अपनी फसल और आय!

आज की खेती केवल अन्न उगाने तक सीमित नहीं रह गई है। बदलते मौसम, घटती मिट्टी की उर्वरता और जलवायु …

Role of digital platforms in reducing food wastage and logistics costs!

In 2024, approximately 78 million tonnes of food were wasted annually in India, translating to about 55 kg per capita. …

WhatsApp Connect With Us