खेती की पारंपरिक पद्धतियों से लेकर आधुनिक तकनीकों तक कृषि क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। तेजी से हो रहे इन बदलावों के साथ स्मार्ट खेती और परिशुद्ध खेती जैसी आधुनिक पद्धतियों का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। इन दोनों तरीकों का उद्देश्य खेती को अधिक उत्पादक, लाभकारी, और पर्यावरण-सम्मत बनाना हैं। हालांकि, दोनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। क्या हैं वो अंतर आइए विस्तार से जानते हैं –
स्मार्ट खेती (Smart Farming) जिसे “डिजिटल खेती” या “कनेक्टेड खेती” भी कहा जाता है, ये एक ऐसी व्यापक कृषि पद्धति है जिसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य खेती को स्वचालित और डेटा-संचालित बनाना है, जिससे किसान बेहतर निर्णय ले सकें और उत्पादन में वृद्धि कर सकें।
1. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) : इन उपकरणों का उपयोग करके फसल, मिट्टी, और मौसम की स्थिति की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकती है। इससे किसान तुरंत निर्णय ले सकते हैं और खेती की प्रक्रिया को अधिक कुशल बना सकते हैं।
2. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): AI आधारित तकनीक किसानों को फसल की स्थिति के बारे में सटीक सलाह देती हैं।
3. क्लाउड कंप्यूटिंग: इस तकनीक की मदद से डेटा इकट्ठा कर, किसान अपने खेत की जानकारी को कहीं भी और कभी भी एक्सेस कर सकते हैं। इससे खेती का प्रबंधन अधिक सुलभ और प्रभावी हो जाता है।
4. स्वचालित मशीनें: ऑटोमेशन, ड्रोन, रोबोटिक्स की मदद से फसल देखभाल, कीटनाशक छिड़काव, और अन्य कृषि कार्यों को बिना अधिक मेहनत के तेजी से और आसानी से किया जा सकता है।
परिशुद्ध खेती (Precision Farming) एक उन्नत कृषि विधि है, जिसमें आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती की जाती है। इसमें खेती के हर पहलू को मापा और नियंत्रित किया जाता है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है और लागत कम होती है।
1. जीपीएस और सैटेलाइट: परिशुद्ध खेती में जीपीएस और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करके जमीन की सटीक जानकारी प्राप्त की जाती है। इससे किसान यह जान सकते हैं कि उनकी जमीन में किस हिस्से में कौन-सी फसल लगानी चाहिए और किस हिस्से में क्या सुधार की आवश्यकता है।
2. सेंसर्स और ड्रोन: फसल की स्थिति की निगरानी करने के लिए सेंसर्स और ड्रोन का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण फसल की सटीक जानकारी देते हैं, जैसे कि मिट्टी की नमी, फसल का स्वास्थ्य, और कीटों का आक्रमण।
3. डाटा एनालिसिस: परिशुद्ध खेती में एकत्रित डेटा का विश्लेषण किया जाता है, जिससे किसान यह निर्णय ले सकते हैं कि कब और कितना उर्वरक या पानी देना चाहिए। इससे उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है और लागत भी कम होती है।
4. रोग और कीट प्रबंधन: परिशुद्ध खेती में फसल के रोग और कीटों का प्रबंधन भी सटीक तरीके से किया जाता है। सेंसर्स और ड्रोन की मदद से समय पर समस्या का पता लगाया जा सकता है और उसका समाधान किया जा सकता है।
स्मार्ट और परिशुद्ध खेती दोनों कृषि पद्धतियाँ खेती के लिए महत्वपूर्ण हैं। एग्रीबाज़ार ऐप इन दोनों पद्धतियों को अपनाने में किसानों की मदद करता है, जिससे वे अपने कृषि उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और कृषि के आधुनिक तरीकों का लाभ उठा सकते हैं। एग्रीबाज़ार IoT, AI और डेटा एनालिटिक्स की मदद से किसानों को स्वचालित खेती करने और समय पर डेटा-संचालित निर्णय लेने में मदद करता है। इतना ही नहीं बल्कि किसानों को इनपुट मार्केटप्लेस के जरिए सर्वोत्तम कृषि उत्पाद खरीदने और अपनी उच्च गुणवत्ता वाली फसल को सीधे बाजार में बेचने की सुविधा देता है।