खेती केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारे देश की संस्कृति, परंपरा, और आत्मनिर्भरता की पहचान है। सदियों से भारतीय खेती प्रकृति के साथ संतुलन बनाए चलती आई है, और अब जब विज्ञान और तकनीक में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हमारी खेती भी उसी गति से आगे बढ़े। ऐसे में डिजिटल ट्विन्स (Digital Twins) जैसी उन्नत तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और खेती को निरंतर पारंपरिक से स्मार्ट बना रही है। इस तकनीक के चलते अब खेतों की मिट्टी, मौसम, उपकरण, और यहां तक कि पशुधन तक – सबका डिजिटल जुड़ाव संभव हो गया है।
जलवायु परिवर्तन, सीमित संसाधन और मानव श्रम की चुनौतियों के बीच डिजिटल ट्विन तकनीक एक नई उम्मीद बनकर उभरी है – जो किसानों को उनके खेतों को और भी बेहतर समझने, संभालने और उनसे अधिक उत्पादन प्राप्त करने का अवसर देती है। यह तकनीक कृषि क्षेत्र को निरंतर आधुनिक, सटीक और डेटा-आधारित बना रही है। यह किसानों को उनकी फसलों और खेतों की वास्तविक स्थिति से अवगत कराती है, वहीं खेती के हर पहलू की निगरानी और बेहतर प्रबंधन में सहायता करती है।
Precedence Research की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल ट्विन का ग्लोबल मार्केट साइज 2024 में 19.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया है और 2034 तक इसके 471.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2025 से 2034 तक 37.29% की CAGR से बढ़ेगा।

क्या है डिजिटल ट्विन?
डिजिटल ट्विन एक वर्चुअल या डिजिटल प्रतिरूप है, जो किसी भी खेत, मशीन या पशु की हूबहू नकल प्रस्तुत करता है। इसमें लगे आईओटी सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिसिस के ज़रिए यह मॉडल हर बदलाव को लाइव दिखाता है। सीधे शब्दों में कहें, तो ये आपकी खेती का गूगल मैप, सीसीटीवी, मानसून ऐप और कृषि डॉक्टर जैसा हाईटेक कॉम्बो है, जो सब कुछ मॉनिटर करता है और आपको हर कदम पर गाइड करता है।
जब इस तकनीक को कृषि में लागू किया जाता है, तो यह खेत, फसल, मवेशी और उपकरण हर एक चीज़ की सटीक जानकारी देने लगता है। इससे न सिर्फ़ खेती स्मार्ट होती है, बल्कि टिकाऊ, लाभकारी और वैज्ञानिक भी बन जाती है। आज डिजिटल ट्विन का इस्तेमाल खेती सहित कई उद्योग-निर्माण और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में हो रहा है, और अब यह भारतीय खेती की तस्वीर भी बदलने को तैयार है।
खेती में डिजिटल ट्विन तकनीक के लाभ:
1. खेतों की स्थिति की निगरानी और निर्णय लेने में मदद: डिजिटल ट्विन खेत की नमी, तापमान, मृदा की गुणवत्ता, और मौसम की स्थिति का विश्लेषण कर किसान को व्यक्तिगत डैशबोर्ड पर सटीक जानकारी देता है। इससे उर्वरक, सिंचाई और कीटनाशकों के प्रयोग में अत्यधिक सुधार होता है।
2. पशुधन की सेहत और प्रजनन की निगरानी: हर पशु का डिजिटल जुड़ाव किसान को उसके स्वास्थ्य, पोषण और प्रजनन चक्र की अद्यतन जानकारी देता है। किसान समय रहते बीमारी की पहचान कर मृत्यु दर घटा सकते हैं, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
3. कृषि यंत्रों की निगरानी और रखरखाव: कृषि उपकरणों के डिजिटल मॉडल की मदद से उनकी कार्यक्षमता और रखरखाव की निगरानी की जा सकती है। इससे मशीनरी की समय पर मरम्मत हो जाती है और लागत में बचत होती है।
4. प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान और तैयारी: डिजिटल ट्विन जलवायु और मौसम पैटर्न का विश्लेषण कर सूखा, अतिवृष्टि या कीट प्रकोप जैसे आपदाओं के प्रति किसानों को सतर्क करता है। इससे जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
5. ऑटोमेटेड खेती और समयबद्ध प्रबंधन: फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक, हर चरण को डिजिटल ट्विन तकनीक स्वचालित और सटीक बना देती है। जिससे श्रम की आवश्यकता घटती है और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

आज देश में कई एग्रीटेक स्टार्टअप्स और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स इस बदलाव को जमीन पर ला रहे हैं। एग्रीबाज़ार उनमें अग्रणी है, जो किसानों को डिजिटल खेती की ओर बढ़ने के लिए आवश्यक हर सुविधा दे रहा है। चाहे वो स्मार्ट उपकरण हों, फसल सलाह, खेत मैनेजमेंट सॉल्यूशन हो या डिजिटल डैशबोर्ड, एग्रीबाज़ार किसानों को टेक-सक्षम बना रहा है।
तो अब समय आ गया है कि किसान डिजिटल ट्विन की तकनीक से जुड़ें और अपनी खेती को एक नया रूप देकर स्मार्ट, कुशल और लाभकारी बनाएं।