हर साल किसान अपनी ज़मीन से सोना उगाने का सपना लेकर बीज बोता है। लेकिन आज के समय में केवल मेहनत और अनुभव ही काफी नहीं है। बदलते मौसम, वैश्विक बाज़ार की मांग और कृषि लागत में बढ़ोतरी ने खेती को और जटिल बना दिया है। ऐसे में डेटा-आधारित खेती (Data-driven Farming) किसानों और व्यापारियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

डेटा अब केवल कंप्यूटर या वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सीधे खेतों तक पहुँच चुका है। मिट्टी की नमी से लेकर मौसम की भविष्यवाणी, फसल की सेहत से लेकर मंडी भाव तक—हर जानकारी अब डिजिटल रूप में उपलब्ध है। इन सूचनाओं का सही इस्तेमाल कर किसान न केवल बेहतर उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि व्यापारी भी सटीक आपूर्ति और पारदर्शी व्यापार कर सकते हैं। यही है आधुनिक खेती का नया चेहरा डेटा-ड्रिवन फार्मिंग।
खेती में डेटा की भूमिका
डेटा-आधारित निर्णय खेती को अनुमान से निकालकर विज्ञान और तर्क पर आधारित बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसान को पता चल जाए कि उसकी मिट्टी में कौन-से पोषक तत्व कम हैं, तो वह उसी हिसाब से खाद का उपयोग करेगा। इससे लागत भी घटेगी और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। इसी तरह, मौसम का सटीक पूर्वानुमान किसान को यह तय करने में मदद करता है कि बुवाई कब करनी है और कटाई कब।

आज दुनिया भर में छोटे किसान भी डिजिटल टूल्स का सहारा ले रहे हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के एक अध्ययन के अनुसार, प्रिसिजन फार्मिंग अपनाने वाले छोटे किसान सिर्फ डेटा का समझदारी से उपयोग करके उत्पादन में 10–25% तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं और कृषि लागत खर्च 15–20% तक घटा सकते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि खेती का भविष्य अब केवल मेहनत पर नहीं, बल्कि सही जानकारी और सही प्रयोग पर भी निर्भर है।
किसान, व्यापारियों के लिए डेटा का महत्व
जहां किसान बेहतर पैदावार पा रहे हैं, वहीं व्यापारी भी डेटा से जुड़कर अधिक सुरक्षित और योजनाबद्ध व्यापार कर रहे हैं। जब उन्हें यह पहले से पता हो कि किस क्षेत्र में कितनी पैदावार होने वाली है, तो वे अपने स्टॉक और वितरण की योजना बेहतर तरीके से बना सकते हैं। इससे मंडी में अनिश्चितता कम होती है और व्यापारियों को स्थिर सप्लाई चैन बनाने में मदद मिलती है।

साथ ही, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध मंडी भाव, ट्रांसपोर्ट की जानकारी और ट्रेसबिलिटी सिस्टम व्यापारियों को यह भरोसा दिलाते हैं कि उन्हें गुणवत्ता से समझौता नहीं करना पड़ेगा। यानी डेटा-आधारित खेती किसानों और व्यापारियों, दोनों को लाभ पहुंचा रही है।
टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल खेती
डेटा का एक बड़ा लाभ यह भी है कि यह खेती को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाता है। जब किसान केवल उतना ही पानी या खाद इस्तेमाल करेंगे, जितनी ज़रूरत है, तो संसाधनों की बर्बादी नहीं होगी। इससे न सिर्फ लागत कम होगी बल्कि मिट्टी और पानी का संरक्षण भी होगा। आने वाले समय में जब जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां और बढ़ेंगी, तो डेटा-आधारित निर्णय ही खेती को सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार रखेंगे।

ग्रामीण नवाचार और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम
भारत जैसे विशाल कृषि प्रधान देश में डिजिटल खेती एक नई क्रांति का रूप ले रही है। मोबाइल ऐप्स, सैटेलाइट इमेजिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के जरिए गांव-गांव तक डेटा की ताकत पहुंच रही है। इससे किसान न केवल अपनी उपज बढ़ा रहे हैं बल्कि वैश्विक बाज़ार से भी जुड़ रहे हैं। यह बदलाव केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि पूरे कृषि मूल्य-श्रृंखला (value chain) को मजबूत कर रहा है।
एग्रीबाज़ार की अहम भूमिका
इस डेटा-आधारित खेती को और सशक्त बनाने में एग्रीबाज़ार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म किसानों और व्यापारियों दोनों को एक ही छत के नीचे एक ही मंच पर जोड़ता है। एग्रीबाज़ार किसानों को वास्तविक समय पर मंडी भाव, मौसम की जानकारी, फसल सलाह, वेयरहाउसिंग, ऑफलोडिंग और फाइनेंसिंग जैसी सेवाएं उपलब्ध कराता है। वहीं व्यापारियों के लिए यह प्लेटफ़ॉर्म पारदर्शिता, ट्रेसबिलिटी और विश्वसनीय आपूर्ति की गारंटी देता है।
एग्रीबाज़ार की साझेदार कंपनियां स्टारएग्री और एग्रीवाइज भी इस बदलाव में अहम योगदान दे रही हैं। स्टारएग्री, वेयरहाउसिंग और कोलेटरल मैनेजमेंट में किसानों की मदद करती है, जबकि एग्रीवाइज वित्तीय सहायता और ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराकर किसानों और व्यापारियों दोनों को मजबूती देती है।