भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है। हर साल, केंद्रीय बजट को इस क्षेत्र में नई ऊर्जा और संसाधन प्रदान करने के लिए देखा जाता है। इस वर्ष बजट में, किसानों और कृषि उद्योग को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य उत्पादन क्षमता में वृद्धि, किसानों की आय में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाना है। आइए, इन घोषणाओं को विस्तार से समझते हैं।
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1. प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना: कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करना है, जिससे वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार कर सकें। यह योजना किसानों को कृषि में नवाचार अपनाने और उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने में मदद करेगी।
2. दलहन आत्मनिर्भरता मिशन: भारत में दालों की खपत बहुत अधिक है, लेकिन उनका उत्पादन सीमित है। इस मिशन के तहत तुअर, उड़द और मसूर जैसी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य है कि अगले छह वर्षों में भारत दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालों की खरीद सुनिश्चित कर, किसानों को उचित मूल्य प्रदान किया जाएगा।
3. सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम: फल और सब्जियां पोषण का अहम हिस्सा हैं। सरकार ने उनके उत्पादन और प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक कार्यक्रमों की घोषणा की है। इनसे मूल्य संवर्धन और बेहतर बाजार उपलब्ध होगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
4. मखाना उत्पादन को बढ़ाने के लिए बोर्ड का गठन: बिहार और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में मखाना उत्पादन का विशेष महत्व है। सरकार ने मखाना के लिए एक विशेष बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया है, जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य और बाजार उपलब्ध कराने में सहायता करेगा।
5. उन्नत बीजों पर राष्ट्रीय मिशन: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के बिना उच्च उपज संभव नहीं है। इस मिशन के तहत जलवायु परिवर्तन-प्रतिरोधी और अधिक उत्पादन वाले बीजों के विकास और वितरण पर जोर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों को बेहतर फसल और आय प्रदान करना है।
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6. कपास उत्पादकता मिशन: भारत कपास उत्पादन में एक अग्रणी देश है। इस मिशन के तहत अतिरिक्त-लंबे स्टेपल किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल कपास उत्पादकों की आय बढ़ेगी, बल्कि भारत को वैश्विक कपास बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
7. मछली उत्पादन और समुद्री खेती: मछली पालन और समुद्री खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने विशेष योजनाएं शुरू की हैं। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए ये योजनाएं नई संभावनाएं और आय के स्रोत प्रदान करेंगी।
8. किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा में वृद्धि:कृषि कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने में आसानी के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है। इससे किसानों को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बिना किसी वित्तीय बाधा के ऋण मिल सकेगा।
9. यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता: सरकार, यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए पूर्वी क्षेत्र में बंद पड़े 3 यूरिया संयंत्रों को फिर से खोलेगी। वहीं यूरिया आपूर्ति को बढ़ाने के लिए असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाला एक संयंत्र स्थापित करेगी।
10. ग्रामीण समृद्धि और अनुकूलन कार्यक्रम: ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए, इस कार्यक्रम का उद्देश्य बुनियादी ढांचे का विकास, कौशल विकास और आजीविका के नए साधनों का सृजन करना है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
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बजट 2025 में की गई ये घोषणाएं कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। यदि इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो न केवल भारत का कृषि क्षेत्र आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि किसान समुदाय का भविष्य भी उज्ज्वल होगा।