बारिश का मौसम हरियाली के साथ किसानों के लिए नई उम्मीदें लेकर आता है। जहां धान से लहलहाती हरी-भरी फसलें और बारिश की ठंडी बूँदें राहत देती हैं, वहीं बारिश का यह मौसम किसानों के सामने कुछ चुनौतियाँ भी खड़ी करता है। और सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि कटाई के बाद अनाज को सुरक्षित कैसे रखा जाए। क्योंकि मानसून की नमी, असमय बारिश, कीटों का प्रकोप और खराब वेंटिलेशन केवल अनाज की मात्रा को ही नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और बाज़ार मूल्य को भी काफी प्रभावित करता है। इसलिए फसल काटने के बाद भंडारण की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण हो जाती है, जितनी खेती की।
यदि मानसून के दौरान अनाज के भंडारण में थोड़ी भी लापरवाही बरती जाए, तो सालभर की मेहनत और सपनों पर पानी फिर सकता है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि समय रहते किसान भाई अपने अनाज को ऐसे तरीकों से स्टोर करें जिससे उसकी गुणवत्ता बनी रहे और वह लंबे समय तक सुरक्षित रहे। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही आसान, प्रभावशाली और व्यावहारिक उपाय जिनसे आप बारिश में अपने अनाज को पूरी तरह सुरक्षित रख सकते हैं।

1. स्टोर करने से पहले अनाज की सफाई और जाँच करें
भंडारण से पहले अनाज की सफाई बेहद जरूरी होती है। गंदगी, मिट्टी, कंकड़ और खराब दानों को छांटना जरुरी है ताकि संग्रहित अनाज में किसी प्रकार का सड़ा हुआ दाना या नमी न रहें। अनाज को छानने के लिए छन्नी या वाइब्रेटिंग मशीन का उपयोग करें और भंडारण से पहले उसे अच्छी तरह धूप में सुखाएं। यह नमी को निकालकर कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
2. भंडारण स्थान में वेंटिलेशन और नमी नियंत्रण का ध्यान रखें
मानसून के दौरान गोदामों में हवा का आवागमन ठीक होना बहुत जरूरी है। गोदाम में ऊंचाई पर वेंटिलेशन के लिए खिड़कियाँ रखें ताकि ताजी हवा आती रहे और अंदर की नमी बाहर निकल सके। किसान डिह्यूमिडिफायर या सिलिका जेल पैकेट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे गोदाम के अंदर आर्द्रता नियंत्रण में रहे और अनाज सुरक्षित रहें।
3. अनाज रखने के लिए सही कंटेनर और पैकिंग का इस्तेमाल करें
भंडारण के लिए मजबूत और एयरटाइट ड्रम या मोटे प्लास्टिक के डिब्बों का प्रयोग करें। यह नमी और कीड़ों को अनाज से दूर रखते हैं। पॉलीथीन की अंदरूनी परत और जूट की बाहरी परत वाली थैलियों में अनाज रखने से दोहरी सुरक्षा मिलती है। आप पुराने ड्रम को नीम के पाउडर से लेप कर सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित कर सकते हैं।
4. तापमान और आर्द्रता की नियमित निगरानी रखें
अनाज के भंडारण स्थल पर एक थर्मो-हाइग्रोमीटर लगाएं जिससे तापमान और आर्द्रता का नियमित पता चलता रहे। यदि तापमान या नमी निर्धारित सीमा (12-14% नमी) से ऊपर जाती है तो तुरंत उपाय करें। सप्ताह में कम से कम दो बार गोदाम का निरीक्षण करना भी आवश्यक है।
5. प्राकृतिक उपायों का करें उपयोग: नीम और चुकंदर
नीम एक प्राकृतिक कीटनाशक है। सूखी नीम की पत्तियों को अनाज में डालने से उसमें कीट नहीं लगते। इसी तरह, गोदाम में कच्ची चुकंदर की स्लाइस रखने से वह खुशबूदार बनी रहती है और कई प्रकार के कीट-पतंगे पास नहीं फटकते। यह उपाय सस्ता, टिकाऊ और रसायन रहित होता है।

6. रासायनिक व जैविक कीट नियंत्रण उपाय
यदि भंडारण में कीट लगने की आशंका हो, तो आप सीमित मात्रा में फॉस्फीन गैस जनरेशन विधि अपनाकर कीट नियंत्रण कर सकते हैं। इसके अलावा बायो-पेस्टिसाइड जैसे बैसिलस थूरिंजिएंसिस (BT) का प्रयोग भी सुरक्षित विकल्प है। यह अनाज के लिए हानिरहित होता है और कीटों से प्रभावी सुरक्षा देता है।
मानसून की इन चुनौतियों के बीच, यदि आपके पास सुविधाजनक ठंडा भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) या आधुनिक गोदाम (वेरहाउसिंग) की सुविधा नहीं है, तो आप एग्रीबाज़ार द्वारा उनकी की सहयोगी कंपनी स्टारएग्री की भरोसेमंद गोदाम सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। यह सहयोगी कंपनी 50 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साथ करीब 19 राज्यों में 2,000 से अधिक तकनीकी गोदामों एवं परिवहन की सुविधा प्रदान करती है। जहां किसान फसल कटाई के उपरांत सही उपज भाव मिलने तक अपनी अनाज को सुरक्षित रख सकते हैं।
मानसून में अनाज भंडारण एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें सफाई, वेंटिलेशन, आर्द्रता नियंत्रण, एवं नियमित निरीक्षण जरुरी होता है। प्राकृतिक एवं रासायनिक उपायों का संतुलित प्रयोग करके किसान गुणवत्ता और पोषण बनाए रख सकते हैं। स्टारएग्री की वेरहाउसिंग सेवाओं की मदद से आपके अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखना और भी आसान हो जाता है। इन सभी उपायों को अपनाकर किसान मानसून के मौसम में भी अपनी फसल को सुरक्षित रख सुनिश्चित बेहतरीन रिटर्न पा सकते हैं।