COP28 शिखर सम्मेलन का अंतिम सत्र 12 दिसंबर को लगभग 200 देशों के बीच एक ऐतिहासिक जलवायु समझौते के साथ दुबई में संपन्न हुआ। 30 नवंबर से शुरु हुए इस सम्मेलन में भारत ने भी अपनी सदस्यता दर्ज की थी। सबसे अधिक आबादी वाला, कृषि निर्भर और एक विकासशील देश होने के नाते इस सम्मेलन में भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी। यह जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का एकमात्र बहुपक्षीय निर्णय लेने वाला मंच था।
ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाना, जलवायु वित्त सुनिश्चित करना, आजीविका और प्रकृति की रक्षा करना तथा समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देना, इन चार प्रमुख प्राथमिकताओं पर यह सम्मेलन केंद्रित था। जलवायु परिवर्तन केवल देश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। इससे भारत सहित पूरी दुनिया में बाढ़, सूखा, कृषि संकट एवं खाद्य सुरक्षा, बीमारियां आदि का खतरा बढ़ा है। जिसे देखते हुए भारत जलवायु समझौतों और पहलों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और सटिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर अहम कदम उठा रहा हैं।
- भारत ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना या NAPCC को औपचारिक रूप से 30 जून, 2008 को लॉन्च किया था।
- जलवायु परिवर्तन को रोकना और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने की समझ को बढ़ावा देने के लिए NAPCC के 8 प्रमुख राष्ट्रीय मिशन जारी किए।
- भारत ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट ज़ीरो तक लाने का लक्ष्य रखा है। हवा के अंदर मौजूद सूक्ष्म कणों की मात्रा को कम करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया।
- भारत वर्तमान में फसलों के विविधिकरण पर ध्यान दे रहा है और धान के बजाय मोटे अनाज का उत्पादन कर रहा है जिससे मीथेन के उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिल सकें।
- भारत ‘हर बूंद अधिक फसल’ नामक योजना के माध्यम से जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही, जैविक यूरिया के उपयोग को बढ़ाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया गया है।
- राष्ट्रीय किसान पोर्टल के माध्यम से मौसम की रिपोर्ट से लेकर खाद की जानकारी, सबसे बढ़िया तौर-तरीकों आदि की जानकारी प्रदान करने की योजना की।
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के जरिए भारतीय कृषि में तेजी से विकास हासिल करने और किसानों तक कृषि संबंधी जानकारी समय पर पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना शुरु की।
एग्रीबाज़ार भी अपनी कई सर्वोत्तम एग्रीटेक सुविधाओं के साथ जलवायु नियंत्रण और सटीक खेती में भारत सरकार की मदद कर रहा है। मॉनसून पूर्वानुमान, फसल डॉक्टर, सैटलाइट इमेजरी, GIS, GPS जैसी कई सुविधाएं निस्संदेह जलपरिवर्तन के प्रभावों से बचने और निरंतर खेती के लिए फायदेमंद है।