प्रूनिंग की सही तकनीक अपनाएं, पेड़-पौधों को कीट-रोगों से बचाएं!

स्वस्थ, बेहतर ग्रोथ एवं अधिक उत्पादन के लिए पेड़-पौधों की समय पर कटाई-छंटाई अर्थात प्रूनिंग करना अधिक जरुरी हैं। यदि यह कार्य उचित तकनीक के साथ सही समय पर ना किया जाए, तो यह पेड़-पौधे फूल-फल देना बंद कर देते हैं और इनकी पत्तियां तथा तनें भी अस्त-व्यस्त हो जाती है, जिससे पेड़-पौधे बेजान नज़र आने लगते हैं। इसलिए सूखे पत्तियों और शाखाओं की समय पर छंटाई करना आवश्यक है।

पौधों की कटाई यानी प्रूनिंग क्यों जरुरी है और कब करें –

जिस तरह पौधों को खाद और पानी की जरूरत होती है, उसी तरह समय-समय पर प्रूनिंग करना भी जरूरी है। सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करने और कीट के विकास को रोकने के लिए अतिरिक्त पत्तियों को हटाना भी महत्त्वपूर्ण है। इससे पेड़-पौधे अधिक मजबूत, जीवित हो उठते हैं और नई कोपले-शाखाएं भी आती है। आमतौर पर जब पौधों की वृद्धि और विकास अस्थायी रूप से रुक जाती है, तब प्रूनिंग करना अच्छा माना जाता है।

प्रूनिंग का सही तरीका और उसके प्रकार – 

पौधों की शाखाओं को सही तरीके और उचित आकार में बढ़ाने के लिए आपको प्रूनिंग का सही तरीका अपनाना चाहिए। आमतौर पर पौधों की प्रूनिंग दो तरह से की जाती है – हार्ड प्रूनिंग और सॉफ्ट प्रूनिंग

1. हार्ड प्रूनिंग (Hard Pruning)

जब पेड़ या पौधों के बीच की टहनियां, शाखाएं या मुख्य तना काट दिया जाता है तो उसे हार्ड प्रूनिंग कहते हैं। इस तरह की प्रूनिंग साल में एक बार यानी ग्रोइंग सीजन खत्म होने के बाद अक्टूबर से फरवरी के बीच की जाती है। 

2. सॉफ्ट प्रूनिंग (Soft Pruning)

जब पौधों की प्रूनिंग किसी भी समय की जा सके तो उसे सॉफ्ट प्रूनिंग कहा जाता है। इसमें पेड़ या पौधों के ऊपर की टहनियों या पत्तियों को काटकर मनचाहा आकार दिया जाता है। आमतौर पर सजावटी पौधों में इस तरह की प्रूनिंग की जाती है।

भारतीय किसानों के लिए यह तकनीक निश्चितही काफी फायदेमंद होगी। इस तकनीक के आधार पर किसान भाई अधिक उत्पादन के साथ लाभप्रद रुप से खेती करने में और अपनी आजीविका को सुरक्षित करने में सक्षम होंगे। एग्रीबाज़ार किसानों को आर्थिक एवं कृषि व्यापारिक दृष्टी से स्वस्थ फसल की पूरी जानकारी देता है और 24*7 घंटे फसल डॉक्टर जैसी अपनी व्यापक सेवाओं के जरिए फसलों को कीट-रोगों से दूर रखने में सहायता करता है।

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